भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 227
मिथ्या साक्ष्य देना
जो कोई शपथ द्वारा या विधि के किसी अभिव्यक्त उपबन्ध द्वारा सत्य कथन करने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, या किसी विषय पर घोषणा करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध होते हुए, ऐसा कोई कथन करेगा, जो मिथ्या है, और या तो जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान है या विश्वास है, या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह मिथ्या साक्ष्य देता है, यह कहा जाता है।
व्याख्या:-1. कोई कथन चाहे वह मौखिक हो, या अन्यथा किया गया हो, इस धारा के अन्तर्गत आता है।
व्याख्या:-1. अनुप्रमाणित करने वाले व्यक्ति के अपने विश्वास के बारे में मिथ्या कथन इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत आता है और कोई व्यक्ति यह कहने से कि उसे उस बात का विश्वास है, जिस बात का उसे विश्वास नहीं है तथा यह कहने से कि वह उस बात को जानता है जिस बात को वह नहीं जानता, मिथ्या साक्ष्य देने का दोषी हो सकेगा।
उदाहरण:- (क) राम एक न्यायसंगत दावे के समर्थन में, जो रहीम के विरुद्ध रईस के एक हजार रुपए के लिए है. विचारण के समय शपथ पर मिथ्या कथन करता है कि उसने रहीम को रईस के दावे का न्यायसंगत होना स्वीकार करते हुए सुना था। राम ने मिथ्या साक्ष्य दिया है।
(ख) सोहन सत्य कथन करने के लिए शपथ द्वारा आबद्ध होते हुए कथन करता है कि वह अमुक हस्ताक्षर के सम्बन्ध में यह विश्वास करता है कि वह सलमान का हस्तलेख है, जब कि वह उसके सलमान का हस्तलेख होने का विश्वास नहीं करता है। यहां सोहन वह कथन करता है. जिसका मिथ्या होना वह जानता है, और इसलिए मिथ्या साक्ष्य देता है।
(ग) हरीश के हस्तलेख के साधारण स्वरूप को जानते हुए राम यह कथन करता है कि अमुक हस्ताक्षर के सम्बन्ध में उसका यह विश्वास है कि वह हरीश का हस्तलेख है; राम उसके ऐसा होने का विश्वास सद्भावपूर्वक करता है। यहां, राम का कथन केवल अपने विश्वास के सम्बन्ध में है, और उसके विश्वास के सम्बन्ध में सत्य है, और इसलिए, यद्यपि वह हस्ताक्षर हरीश का हस्तलेख न भी हो, राम ने मिथ्या साक्ष्य नहीं दिया है।
(घ) राम शपथ द्वारा सत्य कथन करने के लिए आबद्ध होते हुए यह कथन करता है कि वह यह जानता है कि मोहन एक विशिष्ट दिन एक विशिष्ट स्थान में था, जब कि वह उस विषय में कुछ भी नहीं जानता। राम मिथ्या साक्ष्य देता है, चाहे बतलाए हुए दिन मोहन उस स्थान पर रहा हो या नहीं।
(ङ) मोहन एक दुभाषिया या अनुवादक किसी कथन या दस्तावेज के, जिसका यथार्थ भाषान्तरण या अनुवाद करने के लिए वह शपथ द्वारा आबद्ध है, ऐसे भाषान्तरण या अनुवाद को, जो यथार्थ भाषान्तरण या अनुवाद नहीं है और जिसके यथार्थ होने का वह विश्वास नहीं करता, यथार्थ भाषान्तरण या अनुवाद के रूप में देता या प्रमाणित करता है। मोहन ने मिथ्या साक्ष्य दिया है।
(IPC) की धारा 191 को (BNS) की धारा 227 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है |
अस्वीकरण: सलाह सहित यह प्रारूप केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है. यह किसी भी तरह से योग्य अधिवक्ता राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने अधिवक्ता से परामर्श करें. भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है